July 8, 2024

सोमनाथ मंदिर: भारत का पहला और सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग

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सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जो सदियों से भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था कि निशानी रहा है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल के किनारे पर स्थित, यह भव्य और आलिशान मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला है। और हिंदू धर्म के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और सदियों से पुनर्निर्माण और विनाश के चक्र से गुजरा है, जो इस मंदिर की धार्मिक महत्व और अमरता को दिखता है।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण द्वापर युग में चंद्रमा देवता ने किया था। इस मंदिर का उल्लेख महाभारत, पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में प्राप्त हुआ है। यह मंदिर प्राचीन काल में एक मुख्य व्यापारिक केंद्र था और अरब व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी था। हालांकि, 7 वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर पर 17 बार हमला हुआ और इसे लूटा गया। मंदिर पर हुए इन हमलों में से सबसे प्रसिद्ध 1025 ईस्वी में महमूद गजनवी द्वारा किया गया था, जिसने मंदिर को नष्ट कर दिया था और इसकी सोने से बनी हुई मूर्ति को लूट लिया। इसके बाद, मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन हर बार इसे नष्ट कर दिया गया। 1783 में, मारवाड़ के महाराजा ने मंदिर के भग्नावशेषों को संरक्षित किया और एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया। 1947 में भारत देश की स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सरकार ने मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया। 1951 में, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसादजी ने मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन किया और 1955 में मंदिर को जनता के लिए खोल दिया गया।

मंदिर की स्थापत्य कला

सोमनाथ मंदिर केवल एक भौतिक संरचना नहीं है; यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत प्रतीक है | सोमनाथ मंदिर चालुक्य शैली में बना हुआ है। इस भव्य और शानदार मंदिर परिसर में एक केंद्रीय गर्भगृह, एक अंटराला (अंतरगर्भ), एक सुखनासी मंडप और एक नृत्य मंडप है। मंदिर का गर्भगृह 15 मीटर ऊंचा है और इसमें भगवान शिव जी का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं, जो देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं को दिखाती हैं। मंदिर के शिखर पर एक ध्वज है, जो सोने से बना है जिसे सोमनाथ ज्योति कहा जाता है।

आत्मा की यात्रा

सोमनाथ मंदिर लाखों भक्तजनो के लिए एक पवित्र स्वर्गलोक है। उनके लिए यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि परमात्मा तक पहुंचने का द्वार है। गर्भगृह में आते ही , दीयों की कोमल चमक में अभिषेक करते हुए, व्यक्ति को आनंद की एक अनुभूति होती है। मंत्रों का जाप, मंदिर की घंटियों की आवाज और धूप की ख़ुशबूदार सुगंध भक्ति की एक ऐसी ध्वनि पैदा करती है जो आत्मा को छू जाती है।

यह अपने लोगों के विश्वास व विपरीत स्थिति में उनके लचीलेपन और आध्यात्मिकता की शक्ति में उनके अटूट विश्वास का प्रतीक है। यह इस तथ्य का है कि समय के क्षणिक घटाव-वढ़ाव के बीच भी, कुछ चीजें कायम रहती हैं – आशा, विश्वास व अटूट भावना।

सोमनाथ के दर्शन

यदि आप गुजरात में धार्मिक यात्रा करना चाहते हैं तो सोमनाथ मंदिर की तीर्थयात्रा पर जरूर जाए यहां पर याद रखने योग्य कुछ बातें हैं:

  • यात्रा करने का श्रेष्ठ समय: अक्टूबर से मार्च, जब मौसम सुहावना और आनंदमय होता है।
  • ड्रेस कोड: सादे और सरल कपड़े पहनें जो आपके कंधों व घुटनों को ढकें।
  • दर्शन का समय: मंदिर प्रांत: 6:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक खुला रहता है।
  • विशेष उत्सव( समारोह ): दिन में पांच बार किए जाने वाले आरती समारोह, या महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के समय भव्य उत्सव के साक्षी जरूर बनें।

सोमनाथ मंदिर, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक महत्व को एक साथ जोड़ता है। याद रखें, यह सिर्फ एक शुरुआती बिंदु है। सोमनाथ की आपकी अपनी यात्रा निस्संदेह एक अद्वितीय और परिवर्तनकारी अनुभव होगी।

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