December 23, 2024

मकर संक्रांति: एक नई शुरुआत और उत्साह का प्रतीक

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मकर सक्रांति का त्यौहार उस समय मनाया जाता है जब सर्दियों में अंधेरा धीरे-धीरे कम हो जाता है उस समय भारत मकर संक्रांति का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाता है। मकर सक्रांति का यह त्योहार प्रकाश की जीत, फसल की बुवाई और लंबे दिनों के आगमन का प्रतीक है।

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यह त्योहार संस्कृति, अनुष्ठानों और प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा से बुना हुआ है। मकर सक्रांति को पोंगल, माघी, उत्तरायण, लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है।

मकर संक्रांति: महत्व

मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत वर्ष में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है मकर सक्रांति का त्यौहार सौर कैलेंडर के अनुसार जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि (जिसे संस्कृत में मकर कहा जाता है) में प्रवेश करता है । यह खगोलीय परिवर्तन, जिसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है, आम तौर पर 14 जनवरी को मनाया जाता है।  यह त्यौहार सर्दियों में एक नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।

फसलों का त्यौहार

मकर सक्रांति का त्यौहार भारत की कृषि से जुड़ा हुआ एक विशेष त्यौहार है मकर संक्रांति का त्यौहार फसल के एक सर्वोत्तम समय है। इस त्यौहार के समय पूरे भारत वर्ष में किसान अपनी अच्छी फसल के लिए देवताओं की पूजा अर्चना करते है और समृद्धि और प्रचुरता का आशीर्वाद मांगते हैं।

तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल उत्सव के रूप में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। पोंगल के समय यहां के स्थानीय लोग सूर्य देवता की पूजा अर्चना करते है और सुख समृद्धि के लिए धन्यवाद करते है।

अनुष्ठान और मौज-मस्ती से भरपूर

पतंग उड़ाना: पतंगो से इस त्यौहार को मानो चार चाँद लग गए हो उत्तर और पश्चिम भारत का आसमान इस त्यौहार के समय रंग-बिरंगी पतंगों से भरा रहता हैं, जिससे हवा अपने पूरे जोश में आ जाती है और पतंगो से दोस्ती कर लेती है। पतंग उड़ाने की यह परंपरा नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और नकारात्मक भावनाओं को त्यागने का प्रतीक माना जाता है।

सूर्यदेव की प्रार्थना: इस त्यौहार के समय सूर्यदेव की बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। भक्त भगवान सूर्यदेव की पूजा अर्चना करते है और उन्हें जल समर्पित करते है तथा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

पवित्र स्नान: मकर संक्रांति के समय गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र स्नान अनुष्ठान से पापों का नाश हो जाता है और यह शुद्धि का प्रतीक है।

मिठाइयां और अन्य व्यंजन

कोई भी त्यौहार हो मिठाईयों से त्यौहार में खुशियाँ बढ़ जाती है। पुरे भारतवर्ष में मकर सक्रांति के त्यौहार के दिन अनेक प्रकार की मिठाइयां और नमकीन व्यंजन बनाये जाते है और खुशियां मनाई जाती है। इस दिन तिल और गुड़ की मिठाइयां, महाराष्ट्र में पूरन पोली तथा उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी बड़े ही चाव से बनाई जाती है।

मकर सक्रांति: एक विशेष त्यौहार

असम में यह त्यौहार बिहू पर्व के रूप में मनाया जाता है, पारंपरिक बिहू नृत्य और भैंसों की लड़ाई के साथ बड़ी ही धूम धाम के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।

पंजाब में इस त्यौहार को लोहड़ी पर्व के रूप में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाने वाली लोहड़ी अलाव के चारों ओर घूमती है और ढोल की थाप पर नाचती है इस पर्व के दौरान गुड़ और मूंगफली जैसे स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते है।

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इस समय पंजाब में माघी पर्व भी मनाया जाता है माघी पर्व पर पवित्र नदियों में डुबकी लगाना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। माघी पर्व पर चालीस सिख शहीदों की याद में मेले आयोजित किए जाते हैं।

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में चार दिवसीय फसल उत्सव पोंगल मनाया जाता है जहां बारिश के लिए वहां के स्थानीय निवासी भगवान इंद्र की पूजा अर्चना करते है और प्रार्थना बारिस के लिए प्रार्थना करते है। घरों को रंगोली से सजाया जाता है, मवेशियों को सजाया जाता है तथा पोंगल नामक मीठे चावल का एक विशेष पकवान बनाया जाता है और खुशियां मनाई जाती है।

मकर संक्रांति का त्यौहार एक नई और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है यह पर्व सर्दियों का अंत आशा और एक नई शुरुआत का प्रतीक है । मकर सक्रांति का पर्व जीवन में कुछ नया करने, अतीत को भुलाने और सुख समृद्धि से भरे उज्जवल भविष्य की ओर संकेत करता है।

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